दोस्तो, मेरा नाम गौरव है। मेरी उम्र 28 साल है। मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं।
आज मैं आपको अपने जीवन की एक पुरानी घटना बताने जा रहा हूं। यह देसी गर्ल Xxx कहानी मेरी चचेरी बहन से सेक्स की है.
उस वक्त मैंने 12वीं पास की थी और बी.टेक. में दाखिला लिया था।
मेरा कॉलेज कानपुर में था और मेरे चाचा ने मुझे अपने घर रहने के लिए बुला लिया।
कॉलेज में मेरा पहला सेमेस्टर अच्छा रहा और मैं अच्छे नम्बरों से पास हो गया।
मैं जवान भी हो गया था और सेक्स करने का बहुत मन करने लगा था। मैं अब चुदाई करने के लिए तड़पता सा रहता था।
मेरी किस्मत मेरा साथ नहीं दे रही थी और कोई लड़की मेरे से सेट नहीं हो रही थी। जो कोई सेट हो भी जाती थी तो वो चुदाई के लिए तैयार नहीं होती थी।
तब मैं बहुत परेशान था और दिन रात बस चूत के लिये तड़पता था।
ऐसे ही एक दिन छुट्टी के दिन मैं सेक्स के ख्यालों में खोया था कि तभी अचानक से चाचा की लड़की कनक आ गयी।
मैंने आपको कनक के बारे में नहीं बताया।
वो मेरे चाचा की एकलौती लड़की है।
उसने भी तब नया नया जवानी में कदम रखा था। वो भी 12वीं पास कर चुकी थी। देखने में ज़्यादा खूबसूरत तो नहीं थी लेकिन रंग गोरा था और लम्बाई 5 फ़ीट थी।
वो थोड़ी मोटी भी थी। उसका बदन गदराया हुआ था।
मैं बाथरूम में कई बार उसकी ब्रा को देखा करता था।
उसकी ब्रा का साइज 30 का था। हालांकि, अभी तक मैंने कभी उसको चोदने के बारे में नहीं सोचा था।
वो मेरे पास पढ़ने के लिए आ जाया करती थी। उस दिन भी वो पढ़ने ही आई थी।
चूंकि मैं पहले से ही सेक्स के ख्यालों में खोया हुआ था और अंदर से गर्म था तो मेरी वासना पहले से ही जागी हुई थी इसलिए कनक को मैं वासना की नजर से ही देख रहा था।
आज मुझे वो कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही रही थी।
जून की गर्मी थी और उसने हल्का कुर्ता पहना हुआ था और लैगी पहनी हुई थी।
कुर्ते में उसकी ब्रा साफ नज़र आ रही थी।
उसने दुपट्टा भी नहीं डाला था। उसने समीज भी नहीं पहनी थी, बस कुर्ती के अंदर ब्रा थी।
ब्रा का फूलों वाला प्रिंट भी उसके कुर्ते में से पता चल रहा था।
ये नजारा देखकर तो मैं और ज्यादा बेकाबू होने लगा था।
अब तो मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था।
एक तो जून की गर्मी और उस पर से हम दोनों को पसीना आ रहा था।
हमारे यहाँ एसी नहीं था और कूलर से ठंडक होने की बजाय उमस ज्यादा बढ़ रही थी।
रही सही कसर बिजली ने पूरी कर दी जो कनक के आने के कुछ देर के बाद गुल हो गई।
मैंने अपना टीशर्ट उतार दिया और बनियान में बैठ गया।
नीचे से मैंने लोअर पहनी हुई थी और उसमें मेरा खड़ा हुआ लंड साफ दिख रहा था।
शायद कनक ने भी मेरे खड़े लंड को देख लिया था।
बार बार मेरा ध्यान उसकी चूचियों की तरफ जा रहा था।
वो भी नोटिस कर रही थी कि मैं बार बार उसकी छाती पर देख रहा हूं।
मेरा लंड किसी तरह भी बैठने को तैयार नहीं था।
आखिर में मैं उठकर बाथरूम में गया और मुठ मारकर लौटा।
मुठ मारने के बाद मुझे शांति मिली।
जब मैं वापस लौटा तो मेरा पूरा बदन पसीने में भीगा हुआ था।
कनक शायद जान गई थी कि मैं बाथरूम में क्यों गया था क्योंकि मुझे वापस लौटने में भी 4-5 मिनट का समय लग गया था।
वो मुस्करा रही थी।
फिर उसने कहा- अब आराम से बैठकर पढ़ा दो, बहुत देर से बेचैन हो रहे थे आप!
मैं समझ गया कि वो क्या बात कर रही है।
उस दिन के बाद से उसने मेरे साथ हंसी मजाक कुछ ज्यादा करना शुरू कर दिया।
अब हम दोनों ही एक दूसरे के साथ मस्ती करते रहते थे। वो जानबूझकर अपनी ब्रा की पट्टियों को कंधे पर से बाहर निकाले रहती थी।
कई बार मेरे सामने पूरी नीचे तक झुक जाती थी ताकि मैं उसकी छाती की गोलाइयों के अंदर तक दर्शन कर सकूं।
अब वो कई बार मेरे कपड़ों में अपने कपड़े मिला देती थी और फिर अपनी ब्रा के बारे में पूछा करती थी।
मुझे भी समझ आ रहा था कि वो मेरे इरादे अब जान गई है।
इस तरह जून और जुलाई बीत गए। अगस्त में बारिश का मौसम शुरू हो गया।
उस दौरान लाइट और ज्यादा कटने लगी।
रात को एक बार मेरे मन में मुठ मारने का ख्याल आया।
उस दिन मैंने सोचा कि कनक की ब्रा को लंड पर लपेटकर मुठ मारूंगा।
तो रात में चुपके से मैं उसकी ब्रा को उसकी आलमारी से निकाल कर ले आया और उसकी ब्रा को लौड़े पर लगाकर अपना वीर्य में उसमें गिराया।
अगली सुबह राखी का त्यौहार था।
चाची सुबह ही अपने मायके चली गई। साथ में चाचा भी उनको छोड़ने के लिए चले गए।
घर में मैं और कनक ही रह गए थे।
उसने बेहद सेक्सी सूट पहन था जिसमें उसकी पिंक ब्रा साफ दिख रही थी।
वो मुझे राखी बांधने लगी।
फिर मैंने उससे गिफ्ट के लिए पूछा तो कहने लगी कि जो रात में उठा लाए थे वही वापस लौटा दो।
ये सुनकर मेरी सांस ही अटक गई।
फिर मैंने खुद को थोड़ा संभाला और कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा कि तुम किस चीज की बात कर रही हो।
फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और उठाकर अपनी छाती पर रखवाकर दबाते हुए बोली- यहां का सामान उठा लाए थे आप रात को।
ये कहकर वो मेरे करीब आ गई और उसने अपनी दोनों बांहें मेरे गले में डालते हुए कहा- दे दो ना भैया … मैं क्या पहनूंगी अब … देखो जरा … नीचे कुछ नहीं पहना है मैंने।